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rajiv khandewal

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राजीव खंडेलवाल ने शो 'जज्बात' को लेकर किए कई खुलासे नई दिल्ली:    बॉलीवुड अभिनेता राजीव खंडेलवाल ने टॉक-शो से टीवी कार्यक्रम के होस्ट के रूप में नई पारी की शुरुआत की है। वह जीटीवी पर पिछले हफ्ते शुरू हुए टॉक-शो 'जज्बात.. संगीन से नमकीन तक' की मेजबानी कर रहे हैं। दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने बताया कि जज्बात का कोई निर्धारत फॉर्मेट नहीं है। इसमें हर एपिसोड में एक नई कहानी के साथ नया मेहमान आता है। मेहमान के रूप में ऐसी शख्सियत कार्यक्रम में शामिल होती है, जिनके बारे में टीवी के दर्शक बहुत कुछ जानना चाहते हैं। राजीव ने कहा, 'हर व्यक्ति के जीवन में सुखद और दुखद क्षण आते हैं। सेलिब्रिटी भी अपनी निजी जिंदगी में आम आदमी की तरह होते हैं। वह अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव समेटे रहते हैं। जज्बात में हम उनके इन्हीं अनुभव के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।' उन्होंने कहा कि जज्बात में हर एपिसोड में एक नई कहानी होती है, जिससे बात पर बात खुलती जाती है। मशहूर शख्यियत के जीवने के बारे में दर्शकों को नई जानकारी मिलती है। इसलिए यह

अरसा बणाण क विधि

अरसा बणाण क विधि अरसा   – उत्तराखंड मा कै भी मांगलिक कारिज मा अरसा बणाण शुभ मने जांदा। ब्यो, चुडाकरम, बिवई बेटी जब पैल बार अपणु नौनी नौन्याली लेक मैत जान्द तब ननी नना मामी मुमा, अपणु नाती नतणा, भणजू तै अरसा क कल्यो बणये क द्याण क रिवाज छा। आज हम अरसा बणाण क विधि बताणा छवा। अरसा बणाण कुन सामान  – चौल 2 किलो, एक किलो गुड, 200 ग्राम अजवाइन, 200 ग्राम सौंप, एक किलो सरसों क तेल, 50 ग्राम नरयुल कद्दू कस करिक,  द्वी जग पांणी। विधि  : सबसे पैली रात मा 2 किलो चौल भीगे द्याण।  सुबेर उ चावल तै इमानजस्ता मा कुटी क वेक आटू बणाण जैकुण पीठु बुलदन, पीठु तै छाणी क धरी द्याण। वैक बाद एक पतीला पर द्वी जग पांणी चुल्ल मा गरम करण वैमा एक किल्लो गुड कि चास खूब गाडू बणाण, जब गुड़ गलि जाल तब वैमा जू पीठु छ वै तै बी डाली द्याण। पलटा न वै तै खूब खरवालण, जिबरी तक गुड कि बणी पाक मिली जाव। वैक बाद पाक मा सौफ अजवाइन अर नर्यूल मिले क तेल मा गुंदे जान्द। कडाई मा तेल गरम करिक पाक तै हत्थ न पकौड़ी जणी बणयेक तेल मा तली द्याण। इनमा अरसा बणी क तैयार ह्वे जदीन ।

लोक कला की दृष्टि से उत्तराखण्ड बहुत समृद्ध है

 उत्तराखंड  के लोक गीत, लोक कलाये,  वेशभूषा,   खानपान,  त्यौहार,  रहन-सहन सब अपने आप मे अनुठा है और लोगो को अपनी और आकर्षित करता है  परंतु इस सब के बावजूद लोगो का   पलायन जारी है . इस सब से हट  देखे तो यहा की लोक   कलाएँ भी सबसे खास है.   लोक कलाएँ लोक कला की दृष्टि से उत्तराखण्ड बहुत समृद्ध है। घर की सजावट में ही लोक कला सबसे पहले देखने को मिलती है। दशहरा, दीपावली, नामकरण, जनेऊ आदि शुभ अवसरों पर महिलाएँ घर में ऐंपण (अल्पना) बनाती है। इसके लिए घर, ऑंगन या सीढ़ियों को गेरू से लीपा जाता है। चावल को भिगोकर उसे पीसा जाता है। उसके लेप से आकर्षक चित्र बनाए जाते हैं। विभिन्न अवसरों पर नामकरण चौकी, सूर्य चौकी, स्नान चौकी, जन्मदिन चौकी, यज्ञोपवीत चौकी, विवाह चौकी, धूमिलअर्ध्य चौकी, वर चौकी, आचार्य चौकी, अष्टदल कमल, स्वास्तिक पीठ, विष्णु पीठ, शिव पीठ, शिव शक्ति पीठ, सरस्वती पीठ आदि परम्परागत रूप से गाँव की महिलाएँ स्वयं बनाती है। इनका कहीं प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। हरेले आदि पर्वों पर मिट्टी के डिकारे बनाए जाते है। ये डिकारे भगवान के प्रतीक माने जाते है। इनकी पूजा की जाती है। कुछ लोग मि

धर्मार्थ पक्षी चिकित्सालय

दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के सामने श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, भगीरथ प्लेस, चांदनी चौक, व गुरुद्वारा शीशगंज साहिब वहां से गुजरने वाले हर राहगीर को अपनी ओर आकर्षित करता है.  यहीं लाल किले के ठीक सामने लाल पत्थरों से बना श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर  हैं  जिसके प्रागंण में दिल्ली का एक मात्र धर्मार्थ पक्षी चिकित्सालय है जहां पक्षियों का इलाज नि:शुल्क किया जाता है.  पक्षियों के इस अस्पताल में रोज लगभग 50-60 पक्षी आते है जो किसी न किसी समस्या से पीड़ित होते है, जिनका पूरा इलाज करके उन्हें ठीक  कर खुुली हवा में उड़ा दिया जाता है. भमवान महावीर के सिद्धात जीओ और जीने दो को ध्यान में रखकर इस अस्पताल में पक्षियों का इलाज किया जाता है. यहां हर प्रकार के पक्षी लाये जाते है ज्यादातर यहां पालतू कबूतर है इसके अलावा कोआ,उल्लू, तोता, मोर इलाज के लिए लाए जाते है. घायल, बीमार पक्षियों को पहली मंजिल पर रखा जाता है, उनकी देखरेख के लिए डॉक्टर व सहयोगी होते है. इस अस्पताल में चैम्बर  डिस्पेंसरी  तथा  जनरल वार्ड भी बनाये हुए है. इसमें अस्थि विभाग भी है जहां पक्षियों की टूटी हड्डियों क

Kotdwar visit with Arati Jain

कोटद्वार उत्तराखंड राज्य का शहर है। पौड़ी गढ़वाल जिले की तहसील है।  यह उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र का प्रवेश द्वार है।  दिल्ली से यहां आने के लिए रेल गाड़ी और बस द्वारा या फिर अपनी गाड़ी से पहुंचा जा सकता है. ज्यादातर लोग रात को परिवहन निगम की बस से कोटद्वार पहुंचते है. जिससे आगे पहाड़ों पर जाने वाले सही समय पर अपने-अपने गांवों में पहुंच जाते है. रात को चलने वाली निगम की बसें सुबह तीन-चार के बीच पहुंचती है जिससे आगे का सफर समय पर किया जा सकता है.  क्रिसमस से एक दिन पहले मैं और मेरी महिला दोस्त आरती जैन ने कोटद्वार जाने का मन बनाया. अचानक बने कार्यक्रम में आरती जैन और मैं रात को उत्तराखंड निगम की बस से सुबह तीन बजे कोटद्वार पहुंच गए, सुबह काफी ठंड थी, उस दिन होटल का कोई भी कमरा खाली नही था, बस मुश्किल से कोटद्वार रेलवे स्टेशन के पास पेरामाऊंट होटल में एक सिंगल कमरा मिला. बस एक गलती हुई और सब दूरिया मिटती चली गई।  वैसे आरती इस रिश्ते को लेकर बहुत खुश थी उस रात को आरती और मैंने कभी न भूलने का वादा किया.  आरती बहुत खुश थी और मुझे से बोली की सरवन कुमार मैं बहुत खुश हूँ. मैंने

तारकेश्वर महादेव मंदिर, लैंसडाउन

तारकेश्वर महादेव मंदिर, लैंसडाउन कोट्द्वार दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर दूर पर बसा है इस स्थान को पहाडो में प्रवेश करने के लिये भी जाना जाता है लोग अपने अपने दूर दराज के गॉव में जाने के लिए यहाँ से ही प्रवेश करते है. कोटद्वार से लैंसडाउन जाने वाले रास्ते में यहां एक पुराना और बहुत मान्यता वाला सिद्धबली बाबा का मंदिर है. पहाडी के कोने पर बने होने के बाबजूद भी इस मंदिर को किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा क्षति नहीं पहुंचा पाती है. कोटद्वार से लगभग 35 -40 किलोमीटर की दूरी पर लैंसडौन पड़ता है. वैसे लैंसडौन अपने आप मैं काफी मशहूर स्थान है  क्योंकि  वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर इस खूबसूरत हिल स्टेशन को अंग्रेजों ने सन 1887 में बसाया था.  उत्तरांचल में बसा एक छोटा सा हिल स्टेशन है बहुत शांत और साफ़ सुथरा हिल स्टेशन जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं.  समुद्र तल से 1706 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद लैंसडाउन कैंट एरिया है. यहाँ हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग ही दुनिया का एहसास कराती है. लैंसडाउन गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है. यह पूरा इलाका सेना की देख-रेख में चलता है. समु

Modi

आज १६ मई २०१४ का दिन भारतीय इतिहास में शामिल होने  जा रहा है भाजपा को पूर्ण बहुमत मिल गया है अब देखने की  यह बात है की मोदी किस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था को बल प्रदान कर पायेंगे, नौकरियों में किस तरह युवाओं का समावेश हो सकेगा और भ्रष्ट्राचार को किस प्रकार रोक पायेगे;  इस जीत से भाजपा को अपना मनोबल नहीं खोना चाहिए और पूरी ताकत लगा कर भारत को तरक्की की दिशा में ले जा कर एक ऊचाई प्रदान करें