Kotdwar visit with Arati Jain



कोटद्वार उत्तराखंड राज्य का शहर है। पौड़ी गढ़वाल जिले की तहसील है।  यह उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र का प्रवेश द्वार है।  दिल्ली से यहां आने के लिए रेल गाड़ी और बस द्वारा या फिर अपनी गाड़ी से पहुंचा जा सकता है. ज्यादातर लोग रात को परिवहन निगम की बस से कोटद्वार पहुंचते है. जिससे आगे पहाड़ों पर जाने वाले सही समय पर अपने-अपने गांवों में पहुंच जाते है. रात को चलने वाली निगम की बसें सुबह तीन-चार के बीच पहुंचती है जिससे आगे का सफर समय पर किया जा सकता है.

 क्रिसमस से एक दिन पहले मैं और मेरी महिला दोस्त आरती जैन ने कोटद्वार जाने का मन बनाया. अचानक बने कार्यक्रम में आरती जैन और मैं रात को उत्तराखंड निगम की बस से सुबह तीन बजे कोटद्वार पहुंच गए, सुबह काफी ठंड थी, उस दिन होटल का कोई भी कमरा खाली नही था, बस मुश्किल से कोटद्वार रेलवे स्टेशन के पास पेरामाऊंट होटल में एक सिंगल कमरा मिला. बस एक गलती हुई और सब दूरिया मिटती चली गई।  वैसे आरती इस रिश्ते को लेकर बहुत खुश थी उस रात को आरती और मैंने कभी न भूलने का वादा किया. 

आरती बहुत खुश थी और मुझे से बोली की सरवन कुमार मैं बहुत खुश हूँ. मैंने पुछा की कोई गलती  तो नहीं हुई. आरती ने कहा की कोई गलत  होता तो मैं आपको खुद ही माना कर देती 

सुबह वहीं होटल में रेस्ट किया और सुबह धूप निकलने का इंतजार किया.  यहां सस्ते से सस्ते होटल भी मिल जाते है,और महंगे भी दोनों तरह के होटलों का इंतजाम है अगर वहां रूकने का दिल हो तो. यहां होटल  100, 150 से 200 रु पये के होटलों में भी ठहर सकते हैं।  रेलवे स्टेशन के पास गढ़वाल मोटर यूनियन के आसपास भी कई होटल हैं। मिठाइयां खानी हो तो सिद्धबली स्वीट्स पहुंचे। आपको हर तरह की बेहतरीन मिठाइयां खाने को मिल सकती हैं।

कोटद्वार शहर मैं मेरा आना बचपन से है क्योंकि हम यहीं से गांव के लिए बस या जीप लेते हैं. कोटद्वार से सुबह तीन बजे से ऊपर पहाड़ों के लिए बसों का जाना शुरू हो जाता है. खैर आरती जैन ने सुबह सिद्धबलि मंदिर जाने की इच्छा जताई, मैंने तुरंत ही जैन की हां मैं हां मिला दी. यकायक ही मैंने जैन से पूछा क्या बात है सिद्धबलि मंदिर जाने की कोई खास वजह. उसने तुरंत ही बोला, यार तुम तो जानते हो कि  मेरा अभी रिश्ता कहीं नहीं बन रहा, क्या पता सिद्धबलि मंदिर जाने से मेरा रिश्ता कहीं बन जाए. बिना देर किए मैंने एक आॅटो बुलाया, और उससे सिद्धबलि मंदिर जाने के लिए कहां. आॅटो वाले से 80 रूपए में बात बनी और हम दोनों सिद्धबलि मंदिर चल दिए. मंदिर पहुंचते ही मंदिर के बाहर बैठे प्रसाद वालों से मैंने आरती जैन के लिए नारियल, और प्रसाद लिया. काफी सुंदर मंदिर, साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा गया था. पहाड़ की एक कोने पर टिका यह मंदिर विश्वास का पात्र है. मंदिर के मुख द्वार पर पहुंचकर आरती जैन ने मंदिर के पुजारी को प्रसाद दिया मंदिर के पुजारी ने कहां की आप दोनों प्रसाद एक साथ चढ़ाओ. पुजारी के मन में कुछ शंका थी, उसको मैंने यह कहकर साफ कर दिया कि यह अभी कुंवारी है और अपने लिए योग्य वर के लिए मन्नत मांगने आई है. कुल मिलाकर दो महीने बाद ही आरती जैन की सगाई का कार्यक्रम निर्धारित हो गया और 24 नवंबर को शादी हो गई.

कोटद्वार से पौड़ी शहर की दूरी 101 किलोमीटर है। यहां से हरिद्वार 70 किलोमीटर है। तो नजीबाबाद जंक्शन 30 किलोमीटर की दूरी पर है। थोड़ी और बातें कोटद्वार की। यह समुद्र तल से 395 मीटर की ऊंचाई पर बसा शहर है। कोटद्वार का मौसम सदाबहार है गर्मियों में भी तापमान 36 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं जाता।

कोटद्वार से 14 किलोमीटर की दूरी पर कण्व ऋ षि का आश्रम। कहा जाता है इस आश्रम का संबंध राजा भरत से है जिनके नाम पर अपने देश का नाम भारत पड़ा। कहा जाता है यहीं पर मेनका ने विश्वामित्र का तप भंग किया था। मेनका ने शकुंतला को जन्म दिया। शकुंतला का पालन पोषण ऋ षि कण्व ने इसी आश्रम में किया। एक दिन यहीं शकुंतला की मुलाकात दुष्यंत से हुई और उन दोनों के संसर्ग से भरत का जन्म हुआ। भरत की प्रारंभिक शिक्षा कण्व ऋ षि के ही आश्रम में हुई। बाद में प्रतापी राजा बने जिनके नाम पर अपने देश का नाम भारत वर्ष पड़ा। पर   कण्व ऋ षि का आश्रम बहुत अच्छे हाल में नहीं है। कोटद्वार में सिद्धबली मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर और कोटेश्वर मंदिर भी दर्शनीय हैं।

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