धर्मार्थ पक्षी चिकित्सालय



दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के सामने श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, भगीरथ प्लेस, चांदनी चौक, व गुरुद्वारा शीशगंज साहिब वहां से गुजरने वाले हर राहगीर को अपनी ओर आकर्षित करता है. 

यहीं लाल किले के ठीक सामने लाल पत्थरों से बना श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर  हैं  जिसके प्रागंण में दिल्ली का एक मात्र धर्मार्थ पक्षी चिकित्सालय है जहां पक्षियों का इलाज नि:शुल्क किया जाता है.  पक्षियों के इस अस्पताल में रोज लगभग 50-60 पक्षी आते है जो किसी न किसी समस्या से पीड़ित होते है, जिनका पूरा इलाज करके उन्हें ठीक  कर खुुली हवा में उड़ा दिया जाता है.

भमवान महावीर के सिद्धात जीओ और जीने दो को ध्यान में रखकर इस अस्पताल में पक्षियों का इलाज किया जाता है. यहां हर प्रकार के पक्षी लाये जाते है ज्यादातर यहां पालतू कबूतर है इसके अलावा कोआ,उल्लू, तोता, मोर इलाज के लिए लाए जाते है.

घायल, बीमार पक्षियों को पहली मंजिल पर रखा जाता है, उनकी देखरेख के लिए डॉक्टर व सहयोगी होते है. इस अस्पताल में चैम्बर  डिस्पेंसरी  तथा  जनरल वार्ड भी बनाये हुए है. इसमें अस्थि विभाग भी है जहां पक्षियों की टूटी हड्डियों का इलाज भी होता है. पक्षियों में प्राय: जो रोग पाये जाते है उनमें लकवा, आंख की बीमारी, दस्त, खुजली पंखों का झड़ना आदि है.

पक्षियों को उनकी बीमारी के हिसाब से अलग-अलग पिंजड़े में रखा जाता है.  जो बीमार, घायल पक्षी को यहां लाता है उसको एक पर्ची दी जाती है जिससे वह उस पक्षी की जानकारी प्राप्त कर सकता है .परंतु उन्हें वह पक्षी वापस नहीं लौटाया जाता, पक्षी के स्वस्थ होने पर उसे छोड़ दिया जाता है.  जो पक्षी वहां वापस आ जाते है उनके लिए अस्पताल के छत में दाने-पानी की पूरी व्यवस्था की गई है.

धर्मार्थ पक्षी अस्पताल की स्थापना 1929 में  हुई थी उस समय इसमें केवल कुछ पक्षियों का इलाज ही संभव हो पाता था इन पक्षियों के इलाज के लिए एक वैद्य भी नियुक्त किया गया था.  पहले  आयुवैदिक पद्धति से चिकित्सा की जाती थी परंतु धीरे-धीरे समय के अनुसार अब यहां एलोपैथिक पद्धति  से यहां पक्षियों का इलाज होता है. 1946 तक पक्षियों की देखरेख के लिए एक ही कमरा था. बाद में कुछ समय बाद 1952 में श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर के पीछे इसे शिफ़्ट किया गया.

अस्पताल की छत में पक्षियों की एक धर्मशाला भी है। यहां पक्षियों के लिए हर समय दाना पानी मौजूद रहता है। आकाश में उड़ने वाले पक्षी यहां बैठते हैं, सुस्ताते है, दाना खाते हैं, पानी पीते है और अपनी मंजिÞल की ओर उड़ जाते हैं। इसके अलावा, यहां से स्वस्थ होने वाले वे पक्षी, जो ये जगह छोड़कर जाना नहीं चाहते, उनके लिए ओ.पी.डी की व्यवस्था भी इस अस्पताल में मौजूद है।  इस चिकिस्तालय में कोई अवकाश नहीं  होता.

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मनवीर सिंह


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